Article / Lifestyle

‘बहरहाल’

Author : Vrinda Gupta

इश्क़ की सब हदें पार करके, किसी रोज़ तू भी तो देख मेरा इंतज़ार करके
तूने जितने ज़ख्म दिए, उस से ज़्यादा घाउ भी भर दिए
बहरहाल तुझको चाहने की, पाने की, मांगने की आदत नही जाती, तेरी सिखाई बातें मेरे ज़ेहन से नहीं जाती

में जब भी अकेला होता हूँ, याद तुम्हारी कहीं हयम रहती है
में सो नही पाता हूँ पर नींद तुम्हे भी कहाँ आती है

आज एक खयाल आया, कि क्या कह सकूँगा बातें तुमसे वो जो कभी कही नहीं
की मुंतज़िर हूँ कि ख़्वाब आये नींद से पहले तुम्हारे

जो ये शोर मेरे अंदर का परेशान करता है मुझे, कवाम मेरे साथ तो ये है नहीं
उसकी आवाज़ से पत्थर भी पिघल जाते है, और हम भी उसके दीवाने है,
वो आठवा इंसान था जिससे आंख फेरली हमने, लोगों का कहना है कि मेरे भाउ भड़ते जा रहे है।

Submission made by the winner at ‘अक्षर’ – Creative Writing Competition

Author

edumoundofficial@gmail.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

‘Dear Milind’

December 31, 2021